24 July, 2008

वाह बंगलोर...आह दिल्ली

बंगलोर एक खूबसूरत शहर है, खास तौर से दिल्ली से आने के बाद यहाँ के छोटे छोटे दो मंजिल के घर बड़े प्यारे लगते हैं। पर वो कहते हैं न, शहर की भी आदत होती है। जैसे सुबह सुबह अख़बार पढने की, चाहे आपके पास खबरों का कोई दूसरा मध्यम भी हो, अख़बार पढ़े बिना मन नहीं लगता।

कुछ वैसे ही दिल्ली की आदत है, खास तौर से जेऐनयू की गलियों में भटकने की आदत...अब इतनी दूर आ गई हूँ कि जाना सपना ही लगता है, पता नहीं अब कब जा पाऊँगी, बड़ा दुःख होता है। वो गलियां जैसे कहीं मुझमें ही भटकती रहती हैं मैं ख़ुद अपने अन्दर के रास्तों पर कुछ बिखरे लम्हे उठाती रहती हूँ। फ़िर याद आता है गुडगाँव और वो कितनी सारी रातें और कितनी सारी बातें। नैवैद्यम का डोसा, सुबह सुबह mac d पहुँच जाना, वो ऑफिस की इतनी भाग दौड़। वो हॉस्टल का खाना...

और मुझे यकीन नहीं होता की मैं सबसे ज्यादा मिस करती हूँ दिल्ली की बारिश...उससे जुड़ी सैकड़ों यादें, पकोडे, कॉफी और वो घुमावदार सड़कें जहाँ अक्सर मैं ख़ुद से टकरा जाती थी। बंगलोर में भी रोज बारिश होती है, पर यहाँ भीगने का मन नहीं करता(बीमार भी पड़ जाती हूँ)।

एक नए शहर में जिंदगी की नई शुरुआत करनी है, सब कुछ फ़िर से शुरू करना है...एक एक करके दो कमरों के अपार्टमेन्ट को घर बनाना है।
तो कमर कस के तैयार हूँ।
ॐ जय श्री गणेशाय नमः

9 comments:

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  2. बैंगलोर एक बहुत ही खूबसूरत शहर है..
    आई टी प्रोफ़ेशनल का स्वर्ग माना जाने वाला.. मैं भी आई टी प्रोफ़ेशनल ही हूं, मगर दूसरे आई.टी प्रोफ़ेशनलों से जुदा.. जो कभी बैंगलोर की चाहत नहीं रखता है.. वहां जाने से डरता है.. ना जाने कब कौन सा मोड़ किसी की यादों में भींगा जाये..
    वैसे है बहुत ही खूबसूरत शहर, जो भी वहां जाता है, वहीं का होकर रह जाता है.. बस 6 महीने और फ़िर् आप वहां से जाना ही नहीं चाहेंगे.. ये मेरा दावा है.. सभी चीजों को नये सिरे से सजाईये.. और कभी चेन्नई आना हुआ तो मुझसे संपर्क किजियेगा.. :)

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  3. शुभकामनाऐं, आप ज्ल्दी सेटल हों और आपके सपने पूरे हों.

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  4. बंगलौर में आपका स्वागत है। लगता है नई नई आई हैं यहाँ इसलिये खूबसूरत लग रहा है। रुकिये 6 महीने… यह शहर खुद अपनी पोल खोल देगा। कभी बेहद खूबसूरत शहर कचरे का ढेर रह गया है सिर्फ़… मैं जेएनयू के बगल में ही रहा हूँ। जेएनयू, आई आई टी, ncert, mmtc colony, dear park, महरौली के जंगल के बाद दुनियाँ का कोई हिस्सा कैसे अच्छा लग सकता है किसी को। हैरान हूँ कि दिल्ली के उस खूबसूरत हिस्से में रहने वाले को बंगलौर कैसे पसंद आ सकता है। खैर, मुझे वहाँ से ज़्यादा लगाव इसलिये है कि मैं वहीं पला-बढ़ा।

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  5. उम्मीद है पसन्द आएगा आपको नया शहर।

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  6. vaqt lagega.....apne shahar ki to khair bat hi kuch aor hoti hai.

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  7. "जेऐनयू की गलियों में भटकने की आदत..."
    मैंने भी कई दिन जेएनयू में बितायें हैं ...

    "और वो घुमावदार सड़कें जहाँ अक्सर मैं ख़ुद से टकरा जाती थी।"

    ....सुंदर अभिव्यक्तियाँ

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