27 March, 2010

आई मिस यू


रात, दिन, भोर, शाम
जब महीनों तुमसे बात नहीं कर पाती हूँ
फुर्सत नहीं मिल पाती...

रात की खिड़की से देखती हूँ
चाँद का अकेले बढ़ते जाना
पूर्णिमा तक और फिर वापस...

इकट्ठी हो जाती हैं बहुत सारी बातें
जो बस तुमसे कर सकती हूँ मैं
किसी भी और से नहीं...

थक जाने के बहुत बाद वाले किसी दिन
किसी शाम, फिर रात
तुम नहीं आते हो...

उस तन्हाई में
कुछ कहने को मन करता है
तब मुझे तुम्हारी नहीं...माँ की याद आती है।

27 comments:

  1. बहुत ही बढिय़ा। एक दम सीधे मन में उतराते शब्द । भावनाओं की सटीक अभिव्यक्ति । बधाई।

    ReplyDelete
  2. तारीफ़ के शब्द नहीं मिल पा रहे , दुनिया में माँ का रिश्ता ही शायद सबसे बड़ा है.

    ReplyDelete
  3. उस तन्हाई में
    कुछ कहने को मन करता है
    तब मुझे तुम्हारी नहीं...माँ की याद आती है।


    -उम्दा!! बहुत भावपूर्ण रचना!

    ReplyDelete
  4. दुनिया में माँ का रिश्ता ही शायद सबसे बड़ा है.

    ReplyDelete
  5. I think its really unfair i have been reading ur blog for sometime,but u never allowed my comment to public.i think i have never seen a girl as true as u r in your blog

    ReplyDelete
  6. माँ.......अपने आप में जैसे पूरी दुनिया होती है......पहलू में बैठ जाओ तो कहीं कुछ कोई कमी महसूस ही नहीं होती.....बहुत सुन्दर भाव से लिखी ह्रदयस्पर्शी कविता...बधाई

    ReplyDelete
  7. क्या कहूँ ....जानता हूँ.........तुम्हारी पिछली किसी पोस्ट की याद आ गयी....

    ReplyDelete
  8. sagar ke blog per aapke comments padh ke chla aaya tha yahan tak.
    माँ ............

    कुछ नहीँ होगा तो आंचल मे छुपा लेगी मुझे
    माँ कभी सर पे खुली छत नही रहने देगी .


    आज माँ को फोन करुंगा.

    सत्या

    ReplyDelete
  9. दुख और अकेलापन समेटने के लिये मन का आँचल है न ।

    ReplyDelete
  10. kavita padh ke mummy se baat kar li maine....

    ReplyDelete
  11. सेन्टी क्वीन हो रही हो आजकल, सब ठीक है न? अभी अभी ये पोस्ट पढी मैने और एक प्यारी सी मुस्कुराहट चेहरे पर उतरती चली गयी.. पढना..
    (P.S. अपना लिन्क नही दे रहा हू, वो बडे ब्लागर अपना लिन्क नही देते न, इसलिये :))

    http://kuchehsaas.blogspot.com/2010/03/blog-post_27.html

    ReplyDelete
  12. दिल तो जेब में रखा है...

    ReplyDelete
  13. @pankaj
    पल्लवी की वो पोस्ट पढ़ चुकी हूँ, दरअसल उस पोस्ट पर तुमसे पहले जो कमेन्ट है वो मेरा ही है...दूसरी ईमेल से लोगिन थी, देखा नहीं कि क्या नाम आ रहा है.

    ReplyDelete
  14. तो आप पूजा किसलय भी है.. जे बात!!
    gawwt it.. :)

    और सेन्टी वाली बात का जवाब कौन देगा?
    (ये लाइन पान पसन्द खाने के बाद वाली ’टोन’ मे है :))

    ReplyDelete
  15. सुंदर लिखा पुजा तुमने !

    ReplyDelete
  16. क्या कहूँ माँ के आगे सारे शब्द बौने हो जाते है। दिल से लिखे भाव दिल को छू जाते है।

    ReplyDelete
  17. थक जाने के बहुत बाद वाले किसी दिन
    किसी शाम, फिर रात

    उफ़्फ़
    कैसा होता होगा वह थक जाने के बाद, बहुत बाद का कोई दिन..कब आता होगा..कहाँ
    हम भी देखेंगे तजुर्बा कर के..

    ReplyDelete
  18. आप बेहतर लिख रहे/रहीं हैं .आपकी हर पोस्ट यह निशानदेही करती है कि आप एक जागरूक और प्रतिबद्ध रचनाकार हैं जिसे रोज़ रोज़ क्षरित होती इंसानियत उद्वेलित कर देती है.वरना ब्लॉग-जगत में आज हर कहीं फ़ासीवाद परवरिश पाता दिखाई देता है.
    हम साथी दिनों से ऐसे अग्रीग्रटर की तलाश में थे.जहां सिर्फ हमख्याल और हमज़बाँ लोग शामिल हों.तो आज यह मंच बन गया.इसका पता है http://hamzabaan.feedcluster.com/

    ReplyDelete
  19. आपकी चिंता जायज है।


    bahut sundar rachna

    shekhar kumawat

    kavyawani.blogspot.com/

    ReplyDelete
  20. bahut sundar rachna

    shekhar kumawat

    kavyawani.blogspot.com/

    ReplyDelete
  21. touching...check me also...http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...