09 May, 2010

मिस यू माँ

दर्द में डूबे डूबे से कुछ लम्हे हैं. अख़बारों पर बिखरी पड़ी मदर्स डे की अनगिन बधाईयाँ हैं...मुस्कुराती हुयी माँ बेटी की तसवीरें देख रही हूँ सुबह से. एक उम्र के बाद हर बेटी अपनी माँ का अक्स हो जाती है. मैंने भी पहले कभी नोटिस नहीं किया था, घर पर सब हमेशा कहते थे की मेरी शकल एकदम पापा जैसी है.

गुजरते वक़्त के साथ आज जब मम्मी मेरे साथ नहीं है, मैं देखती हूँ की वाकई मैं धीरे धीरे अपनी मम्मी का चेहरा होती जा रही हूँ. किन्ही तस्वीरों में, या कभी आईने में खुद को देखती हूँ तो मम्मी दिख जाती है. कभी हंसती हूँ तो लगता है मम्मी भी ऐसे ही हंसती थी. कभी अपनी बातों में अचानक से उसके ख्यालों को पाती हूँ. जा कर भी मम्मी कहीं नहीं गयी है, वो मेरे जैसी थी मैं उसके जैसी हूँ.

मेरी मम्मी मेरी बेस्ट फ्रेंड थी, एक ऐसी दोस्त जिससे बहुत झगडे होते थे मेरे...पर उससे बात किये बिना मेरा दिन कभी पूरा नहीं होता था. कॉलेज से आती थी तो मम्मी से बात करने की इतनी हड़बड़ी रहती थी की खाना नहीं खाना चाहती थी, जब तक उसको दिन भर की कमेंट्री नहीं दे दूं खाना नहीं खाती, ऐसे में मम्मी मेरे पीछे पीछे प्लेट ले के घूमती रहती थी और कौर कौर खिलाती रहती थी. दिल्ली आके भी मम्मी कभी बहुत दिन दूर नहीं रही मुझसे, हर कुछ दिन में अकेले ट्रेन का टिकट कटा के मिलने चली आती थी. और जब वो नहीं रहती थी तो फ़ोन पर दिन भर की कहानी सुना देती थी उसको.

मुझे अपनी मम्मी के जैसा कुछ नहीं आता, ना वैसा खाना बनाना, ना वैसे स्टाइल से बाल बांधना, ना वैसे सिलाई, कढाई, बुनाई...ना बातें...ना उसके जैसा परिवार को एक जैसा समेट के रखना. मैं अपनी मम्मी की परछाई भी नहीं हो पायी हूँ. और सोचती हूँ की अब वो नहीं है हमको सब सिखाने के लिए तो और दुःख होता है. ऐसा कितना कुछ था जो खाली उसको आता था, मैंने किसी और को नहीं देखा करते हुए. उसकी खुद की खोज...वो सब मैं कैसे सीखूं. मैं मम्मी जैसी समझदार और intelligent कैसे हो जाऊं समझ नहीं आता.

किसी भी समस्या में फंसने पर मम्मी के पास हमेशा कोई ना कोई उपाय रहता था, उसकी बातों से कितनी राहत मिलती थी. कभी ये नहीं लगा की अकेले हैं हम. अब जब वो नहीं है तो समझ नहीं आता है की किस्से पूछूं की जिंदगी अगर अजीब लगती है तो ये वाकई ऐसी है या सिर्फ मेरे साथ ऐसा होता है.

जिंदगी में कितनी भी independent हो जाऊं, सब कुछ खुद से कर लूं, महानगर में अकेले जी लूं पर मम्मी तुम्हारी जरूरत कभी ख़तम नहीं होगी. तुम्हारे बिना जीना आज भी उतना ही मुश्किल और तकलीफदेह है.
तुम बहुत याद आती हो मम्मी.

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