07 June, 2010

भाई के नाम

मेरा भाई उम्र में मुझसे तीन साल छोटा है. बचपन हमारा भी बाकी बच्चों की तरह मार पीट में गुजरा. पर जैसे जैसे हम थोड़े बड़े हुए, मैंने देखा कि उसमें मुझसे कहीं ज्यादा समझदारी है. किसी चीज़ में अगर दोनों जिद्द करते तो मम्मी उसको ही मान जाने बोलती, और वो मान भी जाता. आज मुझे कई बार दुःख होता रहता है कि बचपन में मैंने उसे कुछ क्यों नहीं दिया. यहाँ तक कि बड़े होने के बाद भी उसके लिए कुछ खास नहीं किया है मैंने...इन फैक्ट कुछ भी नहीं किया है मैंने.

पर उसके हर बड़प्पन के बावजूद वो है तो मेरा छोटा भाई ही. जब पटना से दिल्ली आई तो पहली बार उससे इतने दिनों तक दूर रहना पड़ा था, उसकी बड़ी याद आती थी. सारे झगड़े, सारी बातें याद आती थीं...बड़ा मन करता था कि वो आये और हम फिर से खूब सारी बातें कर सकें...और इस बार मैं उससे बिलकुल झगडा नहीं करती. मेरे जन्मदिन पर हर साल वो याद से डेरी मिल्क खरीद के ले आता था...कई बार तो लगता था वो मेरा बड़ा भाई है. 

जिंदगी अचानक से नए रास्तों पर ले आई और उससे मैं दूर होती चली गयी. अब फुर्सत वाली रातें नहीं आती जब मैं उससे कभी चिढाने की तो कभी बदमाशी पर डांटने की बातें कर सकूँ. मेरा भाई मेरी तरह बिलकुल नहीं है, बहुत कम बोलता है वो...अपनी भावनाएं कभी बांटता नहीं है. माँ के जाने के बाद वो बोला था, और है ही कौन मेरा. पर मैं उसके साथ नहीं खड़ी हो सकी, उसकी खुशियाँ उसके ग़मों में शरीक नहीं हो सकी. हालात कितने अजीब हो जाते हैं बड़े होने के बाद. बचपन कितना अनकोम्प्लिकेटेड होता है. 

उससे मैंने हमेशा पाया ही है. TCS में इंजीनियर बन गया है वो, अपनी पहली सैलरी से उसने मेरे लिए घडी खरीद के भेजी है, titan रागा, बहुत खूबसूरत है. आज ही कुरियर आया हमको. मेरा छोटा भाई कब इतना बड़ा हो गया पता ही नहीं चला. तब से पलकें भीगी ही हैं...आज भी मेरे पास उसको देने के लिए कुछ नहीं है. बस ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद. 

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...