17 May, 2014

इश्क रंग


इत्ती सी मुस्कुराहट
इजहार जैसा कुछ
कलाईयों पे इत्र तुम्हारा
मनुहार जैसा कुछ

ख्वाबों में तेरे रतजगे
विस्की में तेरा नाम
उनींदी आँखों में तुम
पुराने प्यार जैसा कुछ

तेरे सीने पे सर रख के
तेरी धड़कनों को सुनना
मन के आंगन में खिलता
कचनार जैसा कुछ

बाँहों में तोड़ डालो
तुमने कहा था जिस दिन
रंगरेज ने रंगा मन
खुमार जैसा कुछ

खटमिट्ठे से तेरे लब
चक्खे हैं जब से जानां
दिल तब से हो रहा है
दिलदार जैसा कुछ

कलमें लगा दीं तुमने
मेरी तुम्हारीं जब से
लगता है आसमां भी
गुलजार जैसा कुछ

6 comments:

  1. Aha! simply beautiful :-)

    1st four lines awesome :-)

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  2. परस्‍पर कलमें लगाकर जो पेड़ खिला वह वाकई गुलजार तो होगा ही। संवेदनामय भाव।

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  3. बहुत खूब..प्रेम से सराबोर रचना।।।

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  4. अद्भुत...कई यादों को जगा गया....आभार.

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  5. बहुत कोमल-सी रचना

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  6. बहुत सुन्दर रचना

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