23 October, 2015

दुआओं के पत्थर पर लिखा था जाने किसका तो नाम


सब कुछ दुआओं का ही था...सुनी, अनसुनी, ठुकराई हुयी...

लड़की खुदा से पूछना चाहती थी कि जिस अजनबी से कभी मिले भी नहीं, उसकी तकलीफें उसे नीम नींद में क्यूँ चुभती हैं. वो अपनी टूटी धड़कनों को किसी उदास नदी में बहा आना चाहती थी मगर उसे नहीं मिलता था कोई आँसुओं का पुल कि जिसके रास्ते वो वापस लौट सके नीली धूप के देश में वापस. उसके गीले कपड़ों में रहने लगी थीं बहुत सी चिड़ियाएं कि जिनकी चहचाहट से लड़के की नींद खुलती थी. 

उन दोनों के बीच दुआओं के पुल थे...वे अपने अपने छोर से देखते रहना चाहते एक दूसरे को लेकिन पुल के बीच होती रहती बारिशें और उनके हिस्से एक दूसरे की भीगी, उदास आँखें ही आतीं.

वो थक कर बैठना चाहते मगर चैन के पत्थर पर लिखा होता जाने किसका नाम. वे चाहते कि हज़ारों फीट गहरी नदी में छलांग लगा दें और एक साथ ही मर जाएँ. फिर शायद खुदा या शैतान के मोहल्ले में उन्हें अलॉट हो आमने सामने के मकान. उनके इर्द गिर्द दुनिया का कितना कारोबार चलता रहता लेकिन वे एक दूसरे को अपने ख्यालों में बेहद करीब रखते. लड़की अपनी चूड़ियों में बांध रखती उसकी आँखों का रंग तो लड़का अपनी शर्ट की पॉकेट में रखता लड़की की चोटियों से खुला हुआ रिबन. 

उन्हें कुछ जोड़ नहीं सकता था इसलिए वे सिगरेट पिया करते थे बेतरतीब...बेहिसाब...कि जब भी पुल के इस छोर पर लड़की के लाइटर की लौ लपकती, लड़का उस लम्हे एकदम साफ़ देख पाता उसका चेहरा...और जैसे ही लड़का जलाता लाइटर, लड़की जान जाती कि उसने आज कौन सा परफ्यूम लगाया है. वे देर तक अपनी उँगलियों में फंसी सिगरेट देखते रहते और उस दिन की कल्पना करते जब फायर ब्रिगेड वाले पुल की आग बुझा देंगे...वे टूटे हुए पुल के अपने अपने छोर से कूदेंगे...बीच हवा में भरेंगे एक दूसरे को बांहों में और फिर गिरते जायेंगे तेज़ी से...गहरी नदी के नीले पानी की ओर...साथ.

3 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति, आभार आपका।

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  2. वे टूटे हुए पुल के अपने अपने छोर से कूदेंगे...बीच हवा में भरेंगे एक दूसरे को बांहों में और फिर गिरते जायेंगे तेज़ी से...गहरी नदी के नीले पानी की ओर...साथ..........Behtareen!!

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  3. बहुत बढ़िया लेख हैं.. AchhiBaatein.com

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